सफलता की ओर

सफलता एक ऐसा विषय है, जिस पर सबके विचार अलग-अलग होते हैं । या यूँ कहें कि हर किसी के लिए सफलता का मतलब अलग-अलग होता है। कोई पैसे कमाने को सफलता समझता है तो कोई परीक्षा में अच्छे अंक लाने को तो कोई अपने हुनर को जीने को । लेकिन मतलब जो भी हो, सफलता पाना एक रात की बात नहीं है। इसके लिए खून पसीने से अपनी सफल होने की इच्छा को सींचना पड़ता है, तब जा कर इंसान अपने मुकाम पर पहुँच पाता है । भले ही सफलता को लेकर लोगो के विचार अलग-अलग हो , लेकिन इसे पाने के लिए सूत्र सामान होते हैं। जी हाँ, सफलता पाने के कुछ होते हैं , जिनका अनुशरण करने पर, मंज़िल तय होती है ।

चाह, जितना छोटा ये शब्द है उतना ही गहरा इसका अर्थ है। चाह इंसान क्या-क्या करवा सकती है। चाह सफलता पाने की पहली सीढ़ी होती है। कहते हैं न "इंसान हहै तो तारे गगन के तोड़ लाये ।" फिर आती है लगन । मेहनत और लगन से किया गया कोई ही काम व्यर्थ नहीं जाता। वह जूनून ही है, जो चाहे तो इंसान से पहाड़ तक तुड़वा सकता है । लेकिन इस पड़ाव में एक बहुत बड़ा फेर है, इसलिए ये आसानी से पर नहीं होता। वह फेर है, असफलता । बार बार असफल होने पर, हताश इंसान अपनी इच्छा को व्यर्थ समझने लगता है। लेकिन यह बस एक छलावा होता है। जो इस माया से बच गया, तो सफलता को उसके कदम चूमने से कोई नहीं रोक सकता। सफलता ऐसी चिड़िया का नाम है, जो आसानी से नहीं मिलती और जब मिलती है तो पंख फैला कर अपना समर्पण कर देती है।

      
Source - trulyhappy
      

                                                                             कोई कितनी बार असफल हो सकता है, एक बार, दो बार या फिर हज़ार बार । लेकिन एक हज़ार एक बार फिर से कोशिश करना ही परीक्षा में उत्तीर्ण होना है। असली परीक्षा सफलता को पाने की नहीं, असफलता को हराने की होती है। वह निःसंदेह बलवान होती है लेकिन एक-एक वार से उसे कमज़ोर करना ही खेल है। हथोड़े का आखिरी वार तभी सफल होता है, जब वहाँ पहला लगा हो।  तो इस तरह असफलता डराएगी, अपने बलवान होने इतराएगी लेकिन निरंतर वार से एक समय ऐसा आएगा की वह निश्चित ही मिटटी में मिल जाएगी। इसलिए हिम्मत रखो और लड़ते रहो जब तक अपनी चाहत को हासिल न कर लो।


लेकिन कहानी यहाँ ख़त्म नहीं होती। सफलता मिलने के बाद भी ,कुछ चीज़ें इंसान से उसे  छीन सकती हैं। जैसे कि अहंकार। अहंकार शकुनी की तरह होता है जो सफलता की अत्यधिक बढ़ाई कर उसे पतन की और अग्रसर कर देता है । जिन लोगों ने इतिहास में बढ़ी-बढ़ी सफलताएँ पाई हैं, उनमे से केवल कुछ ही उसे अंतकाल तक अपने साथ ले जा पाए हैं क्योंकि वे सदाचारी व करुणीय प्रवृत्ति के थे। जो अपनी सफलता में चूर हो संसार का हित करना भूल गया, उसका सर्वनाश ही हुआ है। क्योंकि हम सब एक मकसद के साथ आये हैं। और मकसद हर स्थिति में जनकल्याण से ही जुड़ा है। 

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