“पता नही आज का ये चाँद अलग क्यों लग रहा है , कुछ अजीब सी गुदगुदी हो रही है और बिना कारण ही खुश रहने को दिल कर रहा है । आज नींद भी नही आ रही, शायद मौसम अलग होगा । लेकिन बाकी लोगो को अलग क्यों नही लग रहा ? उनको ये हवा में तरंगे नही महसूस हो रही क्या? अरे यार ये नेट भी नही चल रहा । सच ही है, भगवान जब भी ये लेंन देन का काम करता है तो जबरजस्त करता है । “

मिश्रा जी को आज नींद कैसे आती भला । बनारस की इन गलियो मैं आज चाँद का दीदार जो हुआ। लेकिन असल बात ये न थी । ये जो आज चाँद आया था ना आज, वो पहले भी मिश्रा जी को दर्शन दे चुका था लेकिन ओंनलाइन वो भी फोटो मे। अब जनाब नेट पर तो बन्दर भी सुंदर दिखता है सो मिश्रा जी को दीदार का इंतज़ार था जो आज खत्म हुआ। और तब से मिश्रा जी सपनों के जाल मे फसे हुए है । और ऐसा फसे है की सपना भी नही देख पा रहे, भला नींद तो आये । पलके तो झपक भी न रही है उस पल के बाद से।

“शायद यही प्यार है, लेकिन मुझे कैसे हो सकता है ।” मिश्रा जी ने मन मे कहा। वो क्या है कि मिश्रा जी की सोच कुछ ऐसी हैं कि प्यार तो सिर्फ घरवालों से होता है । मतलब यह कि जैसी याद घरवालो की आती है उनसे दूर होने पर, यदि ऐसी बात हो तो ही प्यार है। और यह भी की प्यार एक नज़र मे नही होता। प्यार तो उससे होता हैं जिसे आप जानने लगो , पहचानने लगो अच्छे तरीके से ।

अब इस कहानी मे मिश्रा जी उसको जानते भी थे और अब दीदार भी हो गया था । दीदार होते समय एक बात और निकली की प्यार चेहरे से भी नही होता। कहने का मतलब यह है की मिश्रा जी जब भी उससे बात करते थे तो चेहरे का कोई असर न था। उन्हे मिश्रा जी की बातें अच्छी लगती और मिश्रा जी को उनकी।

मिश्रा जी का चाँद सिर्फ़ उनका ही था। किसी और के लिए चाँद कोई और होगा। सबका अपना चाँद होता है । पृथ्वी का अपना चाँद हैं। और चाँद भी चाँदनी की वजह से मसहूर है , वरना दाग तो हज़ारो है इस ऊपर दिख रहे चाँद मैं भी। पृथ्वी को भी चाँद की चांदनी से प्यार है , उसने उसके चेहरे के दाग नही देखे।

वही बात मिश्रा जी के साथ थी, कि उनको उस दीदार हुए चाँद की चांदनी से प्यार हो गया था य शायद प्यार होने वाला था । जिस पल मै मिश्रा जी अभी जी रहे थे वो भी बड़ा अजीब पल होता है। यह पल प्यार होने के बिल्कुल पहले वाला वक़्त है। अब अगर प्यार हो गया तो कयामत भी आ सकती है। क्योंकि फिर तो मिश्रा जी को इनकी याद भी घरवालो के तरह ही आएगी , और वो इनसे दूर भी न रह पायेगे।

लेकिन ऐसे कई मिश्रा जी है फ़िलहाल ज़ो, ऐसे पल पर रुक जाते हैं। आगे बढ़ना मुशकिल और समय की बरबादी दिखता है। यह बात भी सही है।

पर बरखुददार, यह बात याद रखना की यदि इस पल को तुमने जी लिया हैं तो प्यार को रोकना मुश्किल हो जायेगा। इस पल तो मिश्रा जी ने सम्भाल लिया खुद को एक नई बात बनाकर कि ऐसा एक पल होता है जब आप प्यार मै बस गिरने वाले ही होते हो लेकिन कब यह पल बिन बताये ही गुज़र जाये , कौन जाने !

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