दुनिया
गर छोड़ कही दुनिया दारी
खुद को तुमने परखा होता
तो हाँथ न होते खाली फिर
सर पे सोना बरसा होता
था समय तुम्हारे पास
हज़ारों कमी हज़ारों की देखी
जीवन में कुछ करके जाते
खुद को इक पल देखा होता
कहता था वक़्त छोडो दुनिया
दुनिया खुद की पहचानो तुम
था हाँथ तुम्हारे राजमहल
खंडर को ग़र छोड़ा होता
मत भूलो तुम किस कबिल हो
क्या करते हो क्या कर सकते
बन बाझ अगर तुम उड़ जाते
तो नीला जहान नीचे होता
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