खुबसूरत सी यादें तेरी

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नज़रों से ओझल हो चुका है सब कुछ
तेरे इतर कुछ नहीं है राहों में
ठहर जाते हैं मंजर हर शाम को
खुबसूरत सी यादें तेरी साथ जब होती है ।

जज़्बातों से भरी आँखे,किसी के इंतजार में
चौखट पर टिकी रहती,मिलने की आस लिए
लौट कर आजा ए-जान-ए-वफा,फिर वहीं
मिल कर हमने यादगार किये थे,पल जहाँ
ख़्वाबों का गुलिस्तान सजाया है तेरे लिए
चुन ली रातों की तन्हाई हमने तब से
तेरी मोहब्बत में खुद को भुला कर
मुकम्मल हमारी हर साँस जब होती है :
खुबसूरत सी यादें तेरी साथ जब होती है।
गुमनाम सी ख्वाहिशें दिल में है दबी हुई
अधूरी सी हसरत होंठो पे रह गयी है
उतर आता है सुकून चेहरे पर मेरे
खुबसूरत सी यादें तेरी साथ जब होती है।
खुबसूरत सी यादें तेरी साथ जब होती है।
                       
                                                 .....कमलेश.....

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