ग़ज़ल
तेरा तीर मोहोब्बत दिल पे मेरे घाव कर गया
दहकती धूप में भी मन् मे मेरे छाव कर गया
बर्फ सा ठंडा था मेरा ताल-ए-मन् तेरे आने से पहले
तेरा एक कंकड़ ताल को बेहाल कर गया ।।
दहकती धूप में भी मन् मे मेरे छाव कर गया
बर्फ सा ठंडा था मेरा ताल-ए-मन् तेरे आने से पहले
तेरा एक कंकड़ ताल को बेहाल कर गया ।।
गहरी थी मेरी जिंदगी कागा के रंग सी
इसमे रखे कदम किसी की सोच भी न थी
तल तक उतर के जबसे इसमे घर किया तूने
खुशदिल ये रंग काग कबूतर सा हो गया ।।
इसमे रखे कदम किसी की सोच भी न थी
तल तक उतर के जबसे इसमे घर किया तूने
खुशदिल ये रंग काग कबूतर सा हो गया ।।
अब वक्त है क़ि मैं तेरा तू मेरी हो जाये
जवां दो दिल मोहोब्बत के कोई अल्फ़ाज़ हो जाएं
सजा कर खुद को शब्दों में ग़ज़ल जबसे कहा तुमने
तो शायर ये नितिन नाचीज भी कमाल हो जाये ।।
जवां दो दिल मोहोब्बत के कोई अल्फ़ाज़ हो जाएं
सजा कर खुद को शब्दों में ग़ज़ल जबसे कहा तुमने
तो शायर ये नितिन नाचीज भी कमाल हो जाये ।।
• नितिन पाराशर
For more Click here
Comments
Post a Comment