जरूरत

Source - peacebringer7.

तेरी उस निस्वार्थ दोस्ती की शायद कदर ना कर पाया
तभी तो हमेशा अपनी खुशी के लिये तुझे उकसाया

कभी तेरा वो अजीब सा शब्द सुनके झूमता
अाज कान भी बेबाक गालियाँ देके बोलता

अब तो वापस तेरे से बडबडाना चाहता हूं 
तेरी हर बात का मजाक बनाना चाहता हूं 
इस बीच के बुदबुदाने को छोड़के,
तुझे फिर से दोस्त बनाना चाहता हूं 

Source - thdeviantart

तेरे उन बँधे बालाें को फिर से बिखेरना चाहता हूं 
तेरे लाख मनाने पर भी मैं फिर से रूठना चाहता हूं
तेरी हर नापसन्द चीज को करके,
फिर से तुझे रुला कर खुश होना चाहता हूं 

उन सूखी झाडियों मे खुशी ढूंढने लगा हूँ 
पेडों और तालाबों से बातें करने लगा हूँ 
इस बीच की खामोशी को छोड़के,
तेरी जरूरत को महसूस करने लगा हूँ 

शायद ऐसा इसलिए हो रहा हैं क्यूंकि,

तेरे साथ रहते-रहते तेरी चाहत सी हो गयी थी।
तुझसे बात करते-करते तेरी आदत सी हो गयी थी।
तू एक पल ना मिले तो बेचैनी सी लगती थी।
और फिर,
दोस्ती निभाते-निभाते तुझसे मोहब्बत ही हो गयी थी।

सोचता था। खुदा से शिकायत दर्ज करू।
मोहब्बत और दोस्ती के बीच संबंध की अर्ज करू।
और अगर ऐसा नही कर पाया वो,
तो बस तुझे पल-पल भूलने की दुआ करू।

लेकिन,
खुदा के सामने दिल बोलता है,दिमाग नही।
तुझे भूलने की वजाय तुझमें घुलने का बोल पडा।
और वो बेरहम मान भी गया,

और फिर हर रात सारा तन चंदन वन होता था।
जिसमें मेरा गुजरना और तेरा बसेरा होता था
तू इत्र की तरह इस कदर बिखरी रहती थी वहां,
कि, सूरज को भी चाँद मानने का मन होता था।

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