कॉलेज कैंटीन


                 
Source- youngisthan.in
            किसी का भी इंतज़ार करते वक़्त जैसे हर एक पल एक घंटे जैसा लगता है, और खासतौर पर जब हम सुबह-सुबह अपनी कॉलेज बस का इंतज़ार करते है तो जैसे  गुजरता हर एक लम्हा हमसे चीख-चीख कर कहता है "बड़ी जल्दी थी न स्टॉप पर आने की, थोड़ी देर और सो सकता था ना।"
मगर जैसे ही बस की मंगल यात्रा ख़त्म होती है और हम कॉलेज पहुँचते है तो हमारे कदम अपने आप ही हमें कॉलेज की एक खास जगह की तरफ लिए खींचने लगते है वहां, जहाँ हमारे कई दोस्त पहले से मौजूद रहकर हमारा इंतज़ार कर रहे होते है। वो जगह कॉलेज से जुड़े हुए हर इंसान की सबसे पसंदीदा जगह होती है, वो है अपनी कॉलेज कैंटीन।
कैंटीन में  बैठकर कब किसके और कितने पैसे खर्च हो गए,कितनी पार्टियां हो गई कुछ पता ही नहीं चलता।
कैंटीन में हम लोग बस खाने ही थोड़ी न जाते है, जब किसी पकाऊ टीचर के लेक्चर न सुनने हो तब हम कैंटीन में ही तो अपने आप को सबसे ज्यादा महफूज महसूस करते है और उसी जगह कब बैंच बजाकर हम अपना खुद का रॉक-बैंड शुरू कर दे कोई भरोसा ही नहीं रहता, कब किसकी खिल्ली उड़ जाये किसी को कुछ पता नहीं चलता। हमारी कॉलेज के दोस्तों की न जाने कितनी बड़ी-बड़ी मीटिंग्स उसी कैंटीन में ही निपट जाती है, और कभी-कभी ये सबसे मौज मस्ती भरी जगह किसी जूनियर के लिए सबसे बेकार जगहों में से एक हो जाती है जब उसके पास  में बैठा कोई सीनियर उसे बुलाकर अपने मनोरंजन का साधन बना लेता है।
      अपनी पढाई पूरी कर चुके हर विद्यार्थी की कॉलेज की यादों में से सबसे ज्यादा यादों तो केवल कैंटीन की ही होती है।
           कुछ भी हो पर कैंटीन में हुई मस्ती, ली और दी गई रैंगिग , मनाये गए जन्मदिन, और वो बैंच को बैंड बनाकर गए हुए गानों का कोई जबाब नहीं। वहां वक़्त उतनी तेजी से कट जाता है जितना धीरे बस का इंतज़ार करते वक़्त कटता है।

Comments

Popular Posts