फौजी


किस मिटटी की मूरत हो तुम,
ज़रा यह बता दो,
देशभक्ति का पाठ तुम,
हमें भी पढ़ा दो।
दुश्मनों के आगे,
पर्वत से अडिग हो तुम,
जब आये भारत माँ पर आंच,
ज्वाला की भवक हो तुम।
आसमान की निर्भय उड़ान हो तुम,
वायु से भी तीव्र गतिमान हो तुम।
इतना निर्मल मन तुम्हारा,
पानी भी अपनी निर्मलता हारा।
जल थल वायु के, तुम पहरेदार,
किसी दिशा से न कर पाए,
दुश्मन हम पे वार।
नफरतों से भरी इस दुनिया में,
एक तुम्हारी मोहब्बत ही है मिसाल,
पत्थर फेंकने वालों की भी जान पर,
न उठने दिए सवाल।
भारत माता के प्राण हो तुम,
फौजी सही,
समर्पण का दूसरा नाम हो तुम।
आहुति पर चढ़ा देते प्राण,
करते वंदे मातरम मनन,
ऐसे फौजी को देश का शत शत नमन।।


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