ज़िन्दगी

तू कितना वाकिफ़ है ज़िन्दगी से,
ज़रा पूछ खुद से,
है ध्यान कितना तेरा तेरी ख़ुशी पे,
ज़रा पूछ खुद से|
आँखें खोल अपनी, तू देख ज़माना,
क्या है नया,क्या है पुराना,
क्या है तेरा, क्या है बेगाना,
क्यों व्यर्थ बटोरे जाता है,
क्या लेके आया था, क्या लेके है जाना,
ज़रा पूछ खुद से|
तू कितना वाकिफ़ है  ज़िन्दगी से,
ज़रा पूछ खुद से|
ज़िन्दगी क्या है? ज़िंदा रहने की चाह है,
क्या यह चाहत है बरक़रार तुझमे,
ज़रा पूछ खुद से|
पल दो पल का यह सफर है,
एक रोज़ इसे ख़तम हो जाना है,
कहने को तो न जाने  कितने,
हमसफ़र होंगे तेरे पर,
कौन साथ आया है, कौन संग जाएगा,
ज़रा पूछ खुद से|
तू कितना वाकिफ़ है  ज़िन्दगी से,
ज़रा पूछ खुद से|
कर रहा है क्या तू जीवन में अपने लिए,
ज़रा पूछ खुद से|
यह वक़्त बड़ा बेईमान है,
न कल था तेरा, न कल होगा,
बस आज है जो कुछ है,
ये वक़्त लेके तू आया,
इसे ही खर्च

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